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3 स्थायी वसीयतें अपनी बेटियों को दें- संस्कार, शिक्षा और स्वतंत्रता: डॉ अनुसुइया अग्रवाल

महासमुंद: हाजीपुर की साहित्यिक संस्थान पद्मनाभ साहित्य परिषद् द्वारा 24.09.23 को हिन्दी पखवाड़ा में दिनकर जयंती , बेटी दिवस एवं मासिक कविगोष्ठी का आयोजन किया गया। पूरे देश से विद्वान वक्ता एवं कविगण पधारे। सबकी प्रस्तुति लाजवाब रही। सर्वप्रथम पद्मनाभ की संस्थापिका, अध्यक्षा सह संयोजिका डॉ०प्रतिभा कुमारी पराशर ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर और उनके दिवंगत पुत्र के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के पश्चात् आगत अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो०डॉ०अनुसुइया अग्रवाल, डी लिट् प्राचार्य शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय महासमुंद छत्तीसगढ़, मुख्य अतिथि डॉ० जंगबहादुर पाण्डेय राँची, विशिष्ट अतिथि पूनम माटिया दिल्ली एवं तेलंगाना से प्रो०डॉ० पवन पाण्डेय थे।
मुख्य अतिथि डॉ०जंगबहादुर पाण्डेय ने बहुत विस्तार से रामधारी सिंह दिनकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। और दिनकर की 115 वीं जयंती पर सबको बधाई प्रेषित की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रो डॉ अनुसुइया अग्रवाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि, समय को साधने वाले, देश के क्रांतिकारी आंदोलन को अपनी कविता से स्वर देने वाले कवि श्रेष्ठ के रूप में दिनकर जाने जाते हैं। जिन्हें एक साथ हीं ‘जनकवि’ और ‘राष्ट्रकवि’ की पदवी मिली। वे अपनी कलम को आग में डुबोकर लिखा करते थे। वे अपनी इन पंक्तियों से बहुत प्रसिद्ध हुए।
सेनानी! करो प्रयाण अभय भावी इतिहास तुम्हारा है;
ये नखत अमां के बुझते हैं सारा आकाश तुम्हारा है

बेटियों पर अपनी बात रखते हुए डॉ अनुसुइया ने कहा कि, बेटियां उसी क्षण आपकी ज़िन्दगी बदल देती है जब वो आपकी ज़िन्दगी में आती है। आप तीन स्थायी वसीयतें अपनी बेटियों को दें संस्कार, शिक्षा और स्वतंत्रता।
हिंदी मास पर आयोजित इस कार्यक्रम में हिंदी भाषा पर उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और हमारे कमतर प्रयास के कारण
हिंदी ने जो सम्मान खोया है, हमें उसको वापस लौटाना है, अस्तित्व न खो दे अपना ये, हिंदी को हमें बचाना है।

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विशिष्ट अतिथि पूनम माटिया ने बड़े ही निराले अंदाज में काव्यपाठ किया। उन्होंने सुनाया –
रच डाला संसार कि दुनिया अब तक बाँचे।
ढाल रहे मनभाव लिये, हिन्दी के साँचे।
तत्पश्चात दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन बहुत ही शानदार रहा ।
सरस्वती वंदना कोलकाता से प्रणति ठाकुर ने गाया और मंच संचालन इंदौर् से शोभारानी तिवारी ने किया। तकनीकी व्यवस्था युवा कवि नंदन मिश्र के द्वारा की गयी। वरिष्ठ कवयित्री डॉ ० विद्या चौधरी ने दिनकर और वैशाली पर कविता सुनाकर खूब तालियाँ बटोरीं।डॉ०अलका वर्मा ने बेटियाँ कविता सुनायी- जो हाथ सेंकती थीं सदैव रोटियाँ।
वो छू रही हैं अब बुलंदी की चोटियाँ।।
तो सभी वाह वाह कह उठे । प्रस्तुति देनेवालों में बेतिया से डॉ ०शिप्रा मिश्रा, कोलकाता से प्रणति ठाकुर , रोसड़ा पूर्णिया से विजय व्रत कंड,रमा बहेड़ हैदराबाद से ,भवानी शंकर कुमावत जयपुर से, डॉ ० उषा पाण्डेय कोलकाता से, कल्प कवि उमेश नारायण कर्ण मधुबनी से, डॉ ०उषा अग्रवाल छत्तरपुर से, वरिष्ठ कवयित्री पद्माक्षि शुक्ल अक्षि पुणे से, नंदन मिश्र जहानाबाद से, कृष्ण चतुर्वेदी बूंदी से, दिल्ली से हिमांशु शेखर सहित अनेक कवियों ने अपनी प्रस्तुति दीं और संस्था के प्रति अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं । अंत में धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ ही सभा का समापन हुआ।

Dhindora24 (Desk)

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