समाज के लिए मिसाल पेश कर गए महासमुंद के 69वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक स्व.गंगाधर पदमवार, डॉक्टर्स सीखें हुनर इसलिए महासमुंद मेडिकल कालेज को दान कर दिया अपना देह
मनोहर सिंह राजपूत(एडिटर इन चीफ)
महासमुंद। कहा जाता है कि, देहदान सबसे बड़ा महादान है। और जो व्यक्ति एक बार अपना देहदान कर लें, वह समाज के लिए मिसाल बन जाता है। कुछ इसी तरह का दृश्य महासमुंद में देखने को मिला है। जहां आज महासमुंद मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में देहदान किया गया। यह देहदान महासमुंद शहर कि बीटीआई रोड निवासी 69वर्षीय स्व.गंगाधर पदमवार का है, जो रिटायर्ड शिक्षक थे। स्वर्गीय गंगाधर पदमवार ने शिक्षक रहते हुए तो अपना फर्ज तो निभाया ही, दुनिया से अलविदा करने के बाद भी बच्चे मेडिकल की पढ़ाई उनके पार्थिव शरीर से कर सके, इसके लिए उन्होंने डेढ़ साल पहले ही मेडिकल कॉलेज महासमुंद में अपने देहदान की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। उनके इस निर्णय में पहले तो परिवार वाले खुश नहीं थे, लेकिन किसी तरह से उन्होंने अपने परिवार के सभी सदस्यों को मना लिया। बुजुर्ग होने के कारण स्वर्गीय श्री पदमवार को बीपी शुगर की समस्या थी। जिसके चलते उन्हें रायपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिनका आज सुबह स्वर्गवास हो गया। इसके बाद परिजन पार्थिव शरीर घर लेकर पहुंचे, जहां दोपहर तक उनके अंतिम दर्शन के पश्चात, पार्थिव शरीर को उसके परिजनों ने महासमुंद मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया है, जहां एनाटॉमी विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने परिजनों का सम्मान किया और शव को सुरक्षित टैंक में रख दिया है। गौरतलब है कि, स्वर्गीय गंगाधर पदमवार 69साल के थे और रिटायर्ड शिक्षक थे। उनके पीछे उनकी धर्मपत्नी सिंधु पदमवार, एक बेटा प्रवेश पदमवार जो कि आईआईएम रायपुर में प्रोफेसर के पद पर है। वहीं एक बेटी सुरुचि पदमवार के साथ भरा-पूरा परिवार अपने पीछे छोड़ गए हैं। इस दौरान स्वर्गीय गंगाधर पदमवार के बेटे और बेटी ने भावुक मन से कहा कि, उनके पापा के इस निर्णय में वे उनके साथ है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ ओमकार कश्यप से चर्चा के बाद देहदान के लिए इंस्पायर हुए थे। उनके इस देहदान से कई मेडिकल के छात्र पढ़ाई कर अपना भविष्य बनाएंगे। वहीं एनाटॉमी विभाग के प्रोफेसर डॉ कुंज बिहारी पटेल ने कहा कि, हम सभी अपने रीति रिवाज के बीच किसी न किसी समाज के रिवाजों में फंसे रहते हैं। लेकिन यदि हम उससे ऊपर उठकर देखें तो देहदान से बड़ा दान कुछ नहीं है। इससे पहले भी मेडिकल कॉलेज महासमुंद को करीब 10 से 11 देहदान मिल चुके है, जिन्हें सुरक्षित रखा गया है। इससे मेडिकल के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, भविष्य में सैकड़ो बच्चे मेडिकल की पढ़ाई कर स्पेशलिस्ट बनकर निकलेंगे, और लोगों की रक्षा करेंगे। उन्होंने देहदान करने वालों को समाज के बीच अमर बताया, और लोगों को इस दिशा में अपनी सोच बदलकर आगे आने की अपील की।