मौत उगल रही महासमुंद की फैक्ट्रियां और उद्योग, निकल रहे हानिकारक धुंए और अपशिष्ठ, संचालक नहीं कर रहे पर्यावरण के नियमों का पालन, फैक्ट्रियों में नहीं है सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था, हो रहे लागातर हादसे
मनोहर सिंह राजपूत(एडिटर इन चीफ)
महासमुंद – जिले में संचालित फैक्ट्रियों में धड़ल्ले से पर्यावरण के नियमों और सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है…नतीजा औद्यिगक क्षेत्र बिरकोनी के साथ-साथ, जहां-जहां फैक्ट्रियां और उद्योग संचालित हो रहे है…वहां-वहां जल, जमीन और वायु तो प्रदूषित हो ही रहा है…फैक्ट्रियों में लगातार हादसे भी हो रहे हैं…लेकिन प्रशासन के फैक्ट्री सुरक्षा के जिम्मेदार अधिकारी जानबूझ कर इसे अनदेखा और अनसुना कर दूसरे जिले में आंख बंद कर बैठे हैं…ये रिपोर्ट देखिए…
हाइलाइट – महासमुंद में मौत उगल रही फैक्ट्रियां
फैक्ट्रियों से निकल रहे हानिकारक धुंए और अपशिष्ठ
फैक्ट्री संचालक नहीं कर रहे पर्यावरण के नियमों का पालन
फैक्ट्रियों में नहीं है सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था
जल, जमीन और वायु के प्रदूषण से बीमार हो रहे है रहवासी क्षेत्र के लोग
सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से लगातार हो रहे है फैक्ट्रियों में हादसे
चांदी काट रहे दूसरे जिले में बैठकर फैक्ट्री सुरक्षा के अधिकारी
बिरकोनी, बेलसोंडा, मुढैना, घोड़ारी, अछोला, अछोली, कौंवाझर सहित दर्जनों गांव में संचालित है छोटे-बड़े उद्योग और फैक्ट्रियां
महासमुंद जिले में संचालित हो रहे उद्योग और फैक्ट्रियां, इन दिनों यहां आसपास के गांव में रहने वाले लोगों के लिए मौत का कारण बनते जा रहा है…ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां संचालित हो रहे छोटे-बड़े उद्योग और फैक्ट्रियां…ना ही पर्यावरण के नियमों का पालन कर रहे हैं…और ना ही फैक्ट्री सुरक्षा के मानकों का?…ये उद्योग और फैक्ट्रियां खुलेआम प्रशासन के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं…लेकिन प्रशासन के जिम्मेदार फैक्ट्री सुरक्षा विभाग, श्रम विभाग और पर्यावरण विभाग आंख मुंदकर बैठी हुई है…लिहाजा लोग या तो बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं…या फिर यहां पर काम करने वाले मजदूर, आए दिन हादसों के शिकार हो रहे हैं…जिले के बिरकोनी, बेलसोंडा, मुढैना, घोड़ारी, अछोला, अछोली, कौंवाझर सहित दर्जनों गांव में 150 से भी अधिक छोटे-बड़े खदान, उद्योग और फैक्ट्रियां संचालित हो रही है…जहां पर प्रशासन के नियमों को तार-तार किया जा रहा है…अकेले औद्योगिक क्षेत्र बिरकोनी में ही 100 से अधिक उद्योग और फैक्ट्रियां हैं…जहां के संचालकों को गांव के जनप्रतिनिधि सरपंच के द्वारा, यहां से निकलने वाले धुएं और छोड़े जा रहे गंदा पानी को लेकर नोटिस भी दिया जा चुका है…लेकिन संचालकों के कान में जूं तक नहीं चल रही…लिहाजा बिरकोनी के लोग दूषित हवा में रहने और प्रदूषित पानी को पीने के लिए मजबूर है…नतीजा यहां के अधिकतर लोगों को चर्म रोग की समस्या, खांसी और दमा जैसी बीमारियां अपने चपेट में ले रही है…
उद्योग और फैक्ट्री के संचालक केवल प्रदूषण फैलाने तक ही सीमित नहीं है…कारखानों के भीतर भी सुरक्षा के मानकों का जरा भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है…कारखानों में मजदूर दिन-रात, खून पसीना बहाकर फैक्ट्री मालिकों को लाभ पहुंचा रहे हैं…लेकिन खुद ही सुरक्षा के मूलभूत सुविधाओं से वंचित है…फैक्ट्रियों में मजदूरों को न कोई सुविधा दी जा रही है…और न ही सुरक्षा के उपकरण…जान हथेली पर रखकर मजदूर रोज काम करने को विवश है…लिहाजा संचालित हो रहे अधिकांश फैक्ट्रियों में लगातार हादसे होने से मजदूर घायल हो रहे है या फिर अपनी जान गंवा रहे हैं…इसका ताजा मामला तुमगांव के पास खैरझिटी में संचालित हो रहे करणी कृपा पावर प्लांट में सामने आया है…जहां जून माह में किलन भट्टी में विस्फोट होने से 3 से 4 मजदूर झुलस गए…तो वहीं 8 सितम्बर को जीसीबी टैंक जाम को खोलते समय गर्म खौलते पानी के गिरने से 3 लोग और झुलस गए…जिनमें से 2 की मौत भी हो गई और एक का इलाज जारी है…यही नही इस तरह के हादसे आये दिन बिरकोनी क्षेत्र के भी फैक्ट्रियों से सामने आ रही है…
उद्योग और फैक्ट्रियों में हो रहे हादसों के अधिकतर मामलों में प्रबंधन की लापरवाही सामने आती है…फैक्ट्री के भीतर बने भवन नियमानुसार नहीं बन रहे हैं, फिर भी उनके नक्शे पास हो जाते हैं…श्रम विभाग के पास तो श्रमिकों का पूरा रिकॉर्ड तक नहीं होता…सेफ्टी सुरक्षा विभाग के अधिकारी दूसरे जिले बलौदाबाजार में बैठकर खानापूर्ति करने में लगा रहता है…और सर्वे मौके पर मिली खामियों पर खामोश हो जाता है….हालाकिं इन तमाम मामलों में जिले के नव पदस्थ कलेक्टर विनय कुमार लंगेह संज्ञान लेने की बात कर रहे है…उनका दावा है कि सभी उद्योग और फैक्ट्रियों में निरीक्षण कर मानकों की जांच की जाएगी…और लापरवाहों को बख्शा नहीं जाएगा…
गौरतलब है कि, सामाजिक श्रमिक सुरक्षा योजना के तहत फैक्टरी में किसी तरह की दुर्घटना में मौत होने पर 05 लाख रुपए और घायल को उसके घायल होने की प्रतिशतता के आधार पर सरकार मुआवजा देती है…वहीं उद्योग और फैक्ट्रियों के मालिकों को भी कर्मचारी की उम्र और उसके वेतन के हिसाब से मुआवजा देने का नियम है…इसके अलावा ईपीएफ, बीमा आदि से भी राशि उपलब्ध कराई जाती है…दुर्घटना किसी की भी गलती से भी हुई हो, फैक्ट्री एक्ट के तहत जुर्माना मालिक को ही भरना होता है…रिहायशी क्षेत्र में कोई भी फैक्ट्री नहीं चलाई जा सकती है, फैक्ट्री संचालन के लिए एनओसी लेना जरूरी है…इस तरह के एनजीटी और सुरक्षा के कई तमाम नियमों के बाद भी फैक्ट्रियों के प्रबंधक प्रशासन को झांसे में रखते है और अपनी मनमानी करते है…बहरहाल अब देखना होगा कि इन लचर व्यवस्थाओं पर लगाम कब लगेगा और लोगों को मौत के गाल में समाने से कौन रोकेगा…