
रायपुर/ बसना । जब दुर्गम पहाड़ियों और अथाह नदी के बीच चुनौती थी, तब भारतीय इंजीनियरों ने अपने कौशल से उसे एक ऐतिहासिक विजय में बदल दिया। विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दुनिया के सबसे ऊँचे चिनाब रेल पुल और अत्याधुनिक अंजी पुल के उद्घाटन को भारतीय इंजीनियरिंग के इतिहास में स्वर्णिम युग की शुरुआत बताया । उन्होंने कहा,”इन पुलों का निर्माण केवल इस्पात और कंक्रीट की उपलब्धि नहीं, बल्कि राष्ट्र के संकल्प और क्षमता का प्रतीक है।”
संघर्ष से स्वर्णिम युग तक: असंभव को संभव बनाने की यात्रा
विधायक डॉ. अग्रवाल ने चिनाब और अंजी पुल को तकनीकी दृढ़ता और अडिग संकल्पशक्ति की मिसाल बताया। उन्होंने कहा, “जहाँ कभी केवल दुर्गम भूभाग था, वहाँ अब आधुनिक भारत की प्रगति गूँज रही है।” भारतीय इंजीनियरों ने न केवल इन स्थानों को जोड़ने का कार्य किया, बल्कि सपनों को वास्तविकता में बदलने का साहसिक इतिहास भी रचा।
रेलवे अधिकारियों और निर्माण दल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इन पुलों की नींव में सैकड़ों श्रमिकों की तपस्या और भारत की तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतिबिंब समाहित है।
भारत की अडिग प्रगति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक
विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने जोर देते हुए कहा कि इन संरचनाओं का भविष्य में सामरिक और आर्थिक विकास में अहम योगदान रहेगा। “आज, जब दुनिया भारत की अभियांत्रिकी को देखती है, तो यह केवल हमारे कौशल की पहचान नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के बढ़ते कदमों का प्रमाण भी है।”उन्होंने इसे प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता और भारत के बढ़ते तकनीकी प्रभुत्व का सजीव उदाहरण बताया।
धरोहर से भविष्य की ओर
डॉ. अग्रवाल ने इस ऐतिहासिक क्षण को भारत की विरासत से जोड़ते हुए कहा, “हमारे पूर्वजों ने ज्ञान और निर्माण से भारत को स्वर्ण युग में पहुँचाया था, आज हम अपने नवाचार से उसी युग को आधुनिक तकनीक में रूपांतरित कर रहे हैं।”
चिनाब और अंजी पुल केवल इंजीनियरिंग का अजूबा नहीं, बल्कि भारत के अडिग संकल्प और अखंड सामर्थ्य की अमिट पहचान हैं।