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चुनिंदा लोगों को लाभ पहुँचाने एथेनाॅल मिश्रित पेट्रोल जनता पर थोप रही भाजपा सरकार : विनोद चंद्राकर

महासमुंद। पूर्व संसदीय सचिव छ.ग. शासन व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि मोदी सरकार के ग्रीन एनर्जी के नाम पर ई-27 ब्लेंडिंग स्कीम (27 प्रतिशत एथेनाॅल मिश्रिम पेट्रोल) अब जनता के लिए बड़ी आफत बन गई है। आम जनता को मिलावटी पेट्रोल देकर अधिक दाम तो वसूला ही जा रहा है, साथ ही यह एथेनाॅल मिश्रित पेट्रोल गाड़ियों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। सरकार ने कहा था कि 27 प्रतिशत एथेनाॅल मिश्रित पेट्रोल से अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी तथा आम जनता को सस्ता पेट्रोल मिलने लगेगा। केंद्र सरकार के मंत्री नितिन गड़करी ने यह तक कह दिया था कि एथेनाॅल का उपयोग कर हम पेट्रोल का दाम 15 रूपए प्रति लीटर तक पहुँचा देंगे। अब जब 27 प्रतिशत एथेनाॅल मिक्स पेट्रोल आम जनता को उपलब्ध कराया जा रहा है तो, 15 रू. प्रति लीटर पेट्रोल ना सही कम से कम पेट्रोल की कीमतों में जो वर्तमान दर 100 रू. प्रति लीटर चल रहा है, उसमें तो 15 रु. की कमी लाई जा सकती है। लेकिन, वह भी नहीं किया गया।

पूर्व संसदीय सचिव ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने 27% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल जनता को बिना कोई विकल्प दिए थोप रही है। ज़्यादातर गाड़ियाँ तो इसके लायक भी नहीं हैं, फिर भी ये आम जनता के गले में उतार रहे हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल को ही ले लीजिए आम जनता विगत 11 साल से रोड टैक्स, जीएसटी, टोल, इनकम टैक्स, पेट्रोल पर टैक्स भर रहे हैं। और बदले में मिलावट वाला ईंधन दिया जा रहा है। यूपीए शासन काल के दौरान, यही भाजपा 50 पैसे की बढ़ोतरी पर विरोध करती थी। लेकिन, आज जब रूस से खरीदे जाने वाले कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है। उसके बाद भी पेट्रोल का दाम 100 रु. पर स्थिर है। और भाजपा के लोग इस मुद्दे पर खामोश हैं। यही नहीं, सरकार के गलत नीतियों का विरोध करने पर विरोध प्रदर्शनों को राजनीतिक साज़िशों के तौर पर पेश किया जाता है, और असली चिंताओं को नज़र अंदाज़ कर जनता का ध्यान भटकाया जाता है।

चंद्राकर ने कहा कि विशेषज्ञों के मुताबिक एथनॉल मिश्रित पेट्रोल से गाड़ियों की माइलेज में 25% तक की गिरावट देखी जा रही है। यही नहीं, यह ईंधन इंजन को अंदर से खोखला कर रहा है, खासकर उन गाड़ियों में जो 2023 से पहले बनी हैं। यानी, उपभोक्ताओं को कीमत में कोई राहत नहीं मिल रही है। उपर से गाड़ियों की मरम्मत का खर्च और बढ़ रहा है। सरकार की इस नीति पर यह सवाल उठता है कि जब एथनॉल पेट्रोल से सस्ता है, तो कीमतें कम क्यों नहीं हुईं? ये ‘ग्रीन एनर्जी’ के नाम पर दिनदहाड़े डकैती है। कहीं ऐसा तो नहीं कि इसका असली फायदा कुछ चुनिंदा शुगर लॉबी को मिल रहा है, जो एथनॉल सप्लाई कर रही हैं। यानी ‘हरित क्रांति’ की आड़ में कुछ चुनिंदा लोगों के एथेनाॅल कंपनियों को लाभ पहुँचाने के लिए जबरदस्ती आम जनता पर इसे थोपा जा रहा है। पेट्रोल की बढ़ी कीमतों पर नजर डालें तो यह भी हो सकता है कि अब तक पेट्रोल और डीजल पर लगभग 18 से 20 प्रतिशत तक जीएसटी लागू था। लेकिन, अब केंद्र सरकार ने जीएसटी स्लैब में संशोधन किया है। जिसके बाद पेट्रोल और डीजल में 4 प्रतिशत की जीएसटी लगने की बात कही जा रही है। यदि ऐसा है तो पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी क्यों नहीं की गई।

चंद्राकर ने कहा कि भारत की यूरोप से तुलना की जाए तो अमेरिका में ई-0, ई-10, ई-15 और ई-85 सभी विकल्प उपलब्ध हैं। जिसकी दरें भी अलग-अलग है। उपभोक्ता खुद चुन सकता है कि कौन-सा ईंधन उसकी गाड़ी के लिए ठीक है। यूरोप में भी पेट्रोल पंपों पर स्पष्ट लेबलिंग होती है कि ईंधन में कितना इथेनॉल है। जबकि भारत में उपभोक्ता को कोई विकल्प नहीं बल्कि मजबूरी का नाम ई-27 है। ये कैसा छल? दरअसल यह सीधा-सीधा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन है, जो जानकारी और विकल्प का अधिकार देता है। इस सारे मामले में कहीं न कहीं असली खेल पर्यावरण के नाम ऑटोमोबाइल लॉबी काे लाभ पहुँचाने के लिए किया जा रहा है। पूर्व संसदीय सचिव ने मांग की है कि देश के सभी पेट्रोल पंपों पर ई-0 (इथेनॉल-फ्री पेट्रोल) उपलब्ध कराया जाए। पंपों पर स्पष्ट लेबलिंग हो कि ईंधन में कितना इथेनॉल मिला है। उपभोक्ताओं को बताया जाए कि उनका वाहन ई-27 के लिए उपयुक्त है या नहीं। सरकार एक राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन कराए कि ई-27 का वाहनों पर क्या असर पड़ा है।

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