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रानीदाह जलप्रपात : छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में छिपा प्रकृति का चमत्कार

रानीदाह जलप्रपात का सबसे आकर्षक रूप मानसून के दौरान देखने को मिलता है, जब पानी का बहाव चरम पर होता है और चारों ओर हरियाली व वादियां निखर उठती हैं। एडवेंचर, फोटोग्राफी, और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थान अद्भुत अनुभव देता है। यहाँ की स्वच्छ बूंदें, हरियाली भरी घाटियाँ और झरने की गूंज हर आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर देती है।

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      रानीदाह जलप्रपात छत्तीसगढ़ राज्य के जशपुर जिला मुख्यालय से लगभग 15 से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह झरना घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों के मध्य स्थित है और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। बरसात के मौसम में यहाँ का नजारा अत्यंत मनोहारी होता है, झरने की धाराएं विशाल चट्टानों से गिरती हैं और एक विशाल जलकुंड में मिल जाती हैं। आसपास जंगल, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, और ऊँची-नीची पहाड़ियाँ इस जगह को रोमांचक बनाते हैं। यहाँ के माहौल में शांति, ताजगी और हरियाली छायी रहती है, जिससे यह पिकनिक और प्रकृति प्रेमियों का आदर्श स्थल है।
      रानीदाह जलप्रपात से जुड़ी एक रोचक किंवदंती भी है। कहा जाता है कि उड़ीसा की रानी शिरोमणि अपने प्रेमी के साथ भागकर जशपुर आई थीं, जहाँ उन्होंने अपने भाईयों से छिपते हुए इसी झरने के समीप आत्मसमर्पण किया। इसी वजह से इस स्थल का नाम रानीदाह पड़ा। आज भी यहाँ रानी की समाधि और पंचमैया नामक स्थल देखने को मिलता है, जो रानी के पाँच भाईयों को प्रतीकात्मक रूप में दर्शाता है। जलप्रपात के निकट एक शिव मंदिर भी है, जिससे इसका धार्मिक महत्त्व बढ़ जाता है।
       यह जलप्रपात वर्ष पर्यन्त विशेष रूप से जून से फरवरी तक चालू रहता है। जशपुर से आरा मार्ग पर लगभग 18 किमी दूरी और मुख्य सड़क से 5 किमी अंदर की ओर स्थित इस स्थल तक सड़क मार्ग, ट्रेन (रांची व अंबिकापुर रेलवे स्टेशन), और हवाई यात्रा (रांची व रायपुर एयरपोर्ट) से पहुँचा जा सकता है। यहाँ जिला प्रशासन ने व्यू प्वाइंट, सीढ़ियाँ, एवं पिकनिक के लिए सुरक्षित व्यवस्था की है ताकि पर्यटक पूर्ण रूप से प्रकृति का आनंद उठा सकें।
      रानीदाह जलप्रपात न केवल छत्तीसगढ़ के पर्यटन मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण बिंदु है, बल्कि प्रकृति, इतिहास और रोमांच से भरपूर एक अविस्मरणीय स्थल भी है। यहाँ आकर मनुष्य को प्रकृति के शांत, पवित्र एवं रमणीय स्वरूप का गहरा अहसास होता है।

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