प्रशासनिक लापरवाही: वन ग्राम के विस्थापित ग्रामीणों की भी सुनो सरकार, 10 सालों में बदल गई सरकार पर नहीं बदली समस्या की तस्वीर, राजस्व रिकार्ड तक नहीं हुआ दुरुस्त, ग्रामीण सालों से लगा रहे अधिकारियों के चक्कर

मनोहर सिंह राजपूत(एडिटर इन चीफ)
महासमुंद। बारनयापारा अभ्यारण्य क्षेत्र के वन ग्राम रामसागर पारा, श्रीरामपुर और लाटादादर से जिले में विस्थापित किसान सालों से अपनी समस्या और परेशानी को लेकर कलेक्टर और प्रशासन से गुहार लगा रहे है। लेकिन 10 साल बाद भी इन किसानों की समस्या जस की तस है और प्रशासनिक अधिकारी इस ओर सुध तक नहीं ले रहे। दरसल बलौदाबाजार जिले के बारनयापारा अभ्यारण्य क्षेत्र के वन ग्राम रामसागर पारा, श्रीरामपुर और लाटादादर से जिले में विस्थापित किसान सालों से अपनी समस्या और परेशानी को लेकर कलेक्टर और प्रशासन से गुहार लगा रहे है। लेकिन 10 साल बाद भी इन किसानों की समस्या जस की तस है और प्रशासनिक अधिकारी इस ओर सुध तक नहीं ले रहे। दरसल इन वन ग्रामों के ग्रामीणों को जिला महासमुंद में साल 2013-14 में विस्थापित कर बसाया गया था। तत्कालीन सरकर ने तब इन ग्रामवासियों से मूलभूत जरूरतों, रोटी, कपड़ा और मकान के साथ खेती किसानी के सारे संसाधन देने का वादा किया। लेकिन आज दस वर्ष से ज्यादा समय में सरकारें तो बदल गई लेकिन आज भी मूलभूत जरूरतें तो छोड़िये, आज तक यें गांव रास्स्व रिकार्ड में दर्ज तक नही किया गया। ऑनलाइन रिकार्ड में इन गांवों को नही दर्शाने की वजह से ग्राम वासियों को ना तो किसान क्रेडिट कार्ड बन पा रहा है, और ना ही यहां के किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य पर बेच पा रहे हैं। ग्रामीण मनोज कुमार प्रधान और ज्ञानचंद बारिक बताते है कि, विस्थापित ग्राम के ग्रामीणों का राजस्व दुरुस्त नहीं होने के कारण इनके परिवार के बच्चों के पढ़ाई तक की एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा जमीन का खसरा नक्शा, आय, जाति, निवास जैसे कागजात भी राज्सव रिकार्ड में दर्ज नही होने की वजह से नही बन पा रहा है। किसान कर्ज लेना चाहता है, लेकिन इन किसानों को कोई बैंक कागजात की वजह से स्वीकार नही कर पा रहा है। ऐसे में किसान बीते दस सालों में अनेक बार प्रशासन के चौखट पर माथा रगड़ चुके हैं, लेकिन आजतक इनकी समस्या का समाधान नही हो पाया। एक बार फिर किसानों ने महासमुंद कलेक्टर से मुलाकात कर अपनी समस्याओं को लेकर गुहार लगाई है। किसानों को महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने आश्वासन दिया है कि, इन गांवो की समस्या का समाधान जांच कर निपटारा किया जाएगा। साथ ही शासन स्तर पर किये गये वादों के लिये जरूरत पड़ी तो पत्राचार कर समस्या का समाधान भी किया जाएगा। अब देखना यह है कि, सालों तक सरकार बदलते देखने वाले इन किसानों की समस्या की तस्वीर आखिर कब बदलेगी।