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जिले के स्कूलों में युक्तियुक्तकरण से खत्म हुआ अटैचमेंट का खेल, सालों से जमे 700 अतिरिक्त शिक्षकों को समेटना पड़ा अपना बोरिया-बिस्तर, जॉइनिंग नहीं देने पर शिक्षकों पर गिर सकती है विभागीय गाज!

शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने जिले में किया गया युक्तियुक्तकरण, अब एक भी स्कूल ना शिक्षक विहीन और ना ही एकल शिक्षकीय

मनोहर सिंह राजपूत(एडिटर इन चीफ)

महासमुंद। महासमुंद जिले में संचालित 1957 प्राइमरी,मीडिल, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में युक्तियुक्तकरण के बाद अब शिक्षा विभाग के उन शिक्षकों की मुसीबत बढ़ गई है, जो सालों से एक ही जगह पर अपने पहुंच, संबंधों और पावर का इस्तेमाल कर मन चाहे स्कूलों पर जमे हुए बैठे थे। युक्तियुक्तकरण से जिले के ऐसे 700 शिक्षकों को अपना बोरिया बिस्तर समेटना पड़ा है। इन अतिशेष शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण के बाद नवीन पदस्थापना देते हुए अन्य स्कूलों में पदस्थ कर दिया है, साथ ही कलेक्टर महासमुंद ने आदेश को तत्काल प्रभावशील करते हुए शिक्षकों को स्कूलों में अपनी ज्वाइनिंग देने का आदेश दिया है। इस संदर्भ में आज कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह, जिला पंचायत सीईओ एस.आलोक, जिला शिक्षा अधिकारी विजय लहरे ने प्रेसवार्ता लेकर युक्तियुक्तकरण के संबंध में जानकारी दी। कलेक्टर विनय कुमार ने बताया कि, राज्य शासन द्वारा विद्यालयीन शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ एवं सुव्यवस्थित, बेहतर और समावेशी बनाने शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण की कार्रवाई की जा रही है। कलेक्टर लंगेह ने प्रेसवार्ता में बताया कि, शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शालाओं में शिक्षकों की उपलब्धता को संतुलित करना है, ताकि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। इस प्रक्रिया के तहत ऐसे विद्यालयों की पहचान की जा रही है, जहां शिक्षकों की संख्या अधिक है, और उन्हें उन विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा जहां शिक्षकों की कमी है। इस प्रकार युक्तियुक्तकरण के माध्यम से छात्र-शिक्षक अनुपात स्कूलों में संतुलित हो, यह सुनिश्चित किया जा रहा है।
कलेक्टर श्री लंगेह ने बताया कि, जिले में प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात 20ः78 बच्चे प्रति शिक्षक एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 21ः19 बच्चे प्रति शिक्षक है, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। उन्होंने बताया कि जिले में 15 प्राथमिक शालाएं शिक्षक विहीन एवं 316 शालाएं एकल शिक्षकीय थे। वहीं 01 पूर्व माध्यमिक शाला शिक्षक विहीन और 01 एकल शिक्षकीय था। कलेक्टर ने बताया कि, जिले में प्राथमिक स्कूलों में 535 शिक्षक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में 272 शिक्षकों की आवश्यकता थी। जिसमें से 700 शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया है। जिले में प्राथमिक शालाओं में 444 एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 146 शिक्षक अतिशेष था और हाई/हायर सेकेण्डरी से 110 अतिशेष व्याख्याता एवं सहायक शिक्षक विज्ञान कुल 700 अतिशेष शिक्षक संवर्ग को समायोजित किया गया। इस तरह जिले में 17 शालाओं का समायोजन किया गया है, जबकि 1957 स्कूलों में 1940 से स्कूल यथावत संचालित होंगे। जिसमें 1265 प्रायमरी, 489 मीडिल, 61 हाई स्कूल और 125 हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल है। कलेक्टर ने बताया कि, अब जिले में एक भी शाला शिक्षक विहीन नहीं है और न ही एकल शिक्षकीय है। उल्लेखनीय है कि जिले में 01 एवं 02 जून को युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी एवं शांतिपूर्ण तरीके से पूर्ण किया गया था। सभी शिक्षकों को पदस्थापना आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि एक ही परिसर में स्थित विद्यालयों को समाहित कर क्लस्टर मॉडल विकसित किया जा रहा है। युक्तियुक्तकरण से लगभग 90 प्रतिशत बच्चों को तीन बार प्रवेश प्रक्रिया मुक्ति मिलेगी और बच्चों को पढ़ाई में गुणवत्ता के साथ ही निरंतरता भी बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों एवं शैक्षणिक आवश्यकता के अनुसार की गई है। साथ ही यह भी आश्वस्त किया गया कि समायोजन करते समय विषय विशेषज्ञ, सेवा काल एवं प्राथमिकता का भी ध्यान रखा गया है। कलेक्टर ने जिले के सभी 700 अतिशेष शिक्षकों को जिले के अलग-अलग स्कूलों में पदस्थ करने के बाद उन्हें जॉइनिंग आदेश देते हुए उसे तत्काल प्रभावशील कर दिया है और शिक्षकों को तत्काल स्कूलों में ज्वाइनिंग देने की निर्देश दिए गए। 03 दिवस के भीतर यदि कोई शिक्षक अपने वर्तमान पदस्थापना स्कूल में जॉइनिंग नहीं लेते हैं तो उन पर शासन के आदेश की अवहेलना करने पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम के तहत विभागीय गाज भी गिर सकती है।

Dhindora24 (Desk)

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