छत्तीसगढ़राजनीतिराष्ट्रीय

महासमुंद कांग्रेस भवन में कांग्रेसियों ने दी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि

महासमुंद। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं महान राष्ट्रभक्ति बाल गंगाधर तिलक जी जिसे स्नेह से लोग लोकमान्य कहा करते थे।उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर महासमुंद के ऐतिहासिक गांधी कांग्रेस भवन में समस्त कांग्रेस जनों के द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया श्रद्धांजलि सभा में अपने विचार व्यक्त करते हुए शहर अध्यक्ष खिलावन बघेल ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण लम्हों को याद करते हुए बताया कि आज हम सब यहां लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की पुण्यतिथि के अवसर पर एकत्र हुए हैं, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान योद्धा, प्रखर विचारक, ओजस्वी वक्ता और राष्ट्रभक्त थे।
उनकी पुण्यतिथि, केवल एक श्रद्धांजलि का अवसर नहीं है, बल्कि यह दिन हमें उनके विचारों, उनके संघर्षों और उनके बलिदानों को याद करने और उनसे प्रेरणा लेने का दिन है।

बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था। वे एक प्रतिभाशाली छात्र थे और गणित व संस्कृत में उनकी विशेष रुचि थी। उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की। एक शिक्षक के रूप में अपने जीवन की शुरुआत करने वाले तिलक जी ने जल्द ही पत्रकारिता और राजनीति को अपना कार्यक्षेत्र बना लिया।
तिलक जी का यह नारा – “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा” भारत के हर कोने में आज़ादी की आग फैलाने वाला नारा बन गया। यह न केवल उनका संकल्प था, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आवाज बन गया।
तिलक जी ने जनता को संगठित करने के लिए गणेश उत्सव और शिवाजी उत्सव जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा शुरू की। इससे जनमानस में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत हुई और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एकजुटता बनी।
उन्होंने दो प्रमुख समाचार पत्रों – ‘केसरी’ (मराठी) और ‘मराठा’ (अंग्रेजी) – की स्थापना की। इन अखबारों के माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश शासन की नीतियों की कड़ी आलोचना की और जनता को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया।
अपने विचारों और सिद्धांतों से कभी पीछे न हटने वाले तिलक जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा। अंग्रेज सरकार ने उन्हें खतरनाक देशभक्त माना और उनकी कलम और वाणी से डरती थी। उन्होंने 1 अगस्त 1920 को इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन उनका विचार और बलिदान अमर हो गया।
आज जब हम बाल गंगाधर तिलक जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं, तो हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम भी उनके दिखाए मार्ग पर चलें – राष्ट्र के लिए समर्पण, सत्य के लिए संघर्ष और जनजागरण का संकल्प।
तिलक जी ने हमें यह सिखाया कि कोई भी परिवर्तन केवल इच्छाओं से नहीं आता, बल्कि उसके लिए साहस, बलिदान और कर्म की आवश्यकता होती है।
गुप्त श्रद्धांजलि सभा में खिलावन बघेल पूर्व बोर्ड उपाध्यक्ष छत्तीसगढ़ शासन एवं शहर अध्यक्ष पूर्व शहर अध्यक्ष जसबीर ढिल्लों,प्रदीप चंद्राकर,सुनील चंद्राकर,जावेद चौहान, मंदाकिनी साहू जिला उपाध्यक्ष, डॉ तरुण साहू,हर्षित चंद्राकर, नितेंद्र बैनर्जी सेवादल, रवि साहू, छन्नू साहू, लोकू साहू,दिनेश दुबे,सोनम रामटेके,सन्नी महानंद,तुलसी देवदास,भानु सोनी उपस्थित रहे।

Dhindora24 (Desk)

ढिंढोरा 24 एक प्रादेशिक न्यूज़ पोर्टल हैं, जहां आपको मिलती हैं राजनैतिक, मनोरंजन, खेल -जगत, व्यापार , अंर्राष्ट्रीय, छत्तीसगढ़ , मध्याप्रदेश एवं अन्य राज्यो की विश्वशनीय एवं सबसे प्रथम खबर ।

Related Articles

Back to top button