महासमुंद में फर्शी पत्थर खदान संचालकों की मनमानी, पर्यावरण की खुलेआम उड़ा रहे धज्जियां, एनजीटी के नियमों का नहीं किया जा रहा पालन, शासन प्रशासन को लगा रहे लाखों के राजस्व का चुना

मनोहर सिंह राजपूत(एडिटर इन चीफ)
महासमुंद। विश्व पर्यावरण दिवस पर जहां एक ओर पूरा देश पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए शपथ लेते नजर आए वहीं दूसरी ओर महासमुंद जिले में खुलेआम पर्यावरण के नियमों की धज्जियां साल भर उड़ाई जा रही है। इसका ताजा उदाहरण फिर एक बार महासमुंद जिले में ही सामने आया है, जहां महानदी से लगे क्षेत्र में फर्शी पत्थर खदान संचालकों के द्वारा प्रशासन की आंखों में धूल झोंकते हुए खुलेआम पर्यावरण के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हमने देशभर में लोगों को पर्यावरण को संरक्षित करने की शपथ लेते देखा है। लेकिन दूसरी ओर हम छत्तीसगढ़ के महासमुंद से कुछ ऐसी तस्वीरें आपको दिख रहे हैं, जो पर्यावरण को लेकर आखिर कितना खतरनाक है इस बात की पुष्टि करता है। यहां एक नहीं, दो नहीं, सप्ताह या महीना नहीं, बल्कि पूरे साल पर्यावरण के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती है। जहां शासन प्रशासन के नाक के नीचे अवैध खनन के गोरख धंधे को अंजाम दिया जा रहा है। दरअसल महासमुंद जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर महानदी क्षेत्र से लगे गांव घोडारी, बसरबसपुर, बिरकोनी, अछोला, अछोली, मूढ़ेना, बेलसोंडा और नांदगांव में सैकड़ों फर्शी पत्थर के खदान संचालित है। इन खदानों में खदान संचालकों के द्वारा पर्यावरण के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। यहां एनजीटी के नियमों को दरकिनार करते हुए बेधड़क अवैध खनन का काम किया जा रहा है। निर्धारित क्षेत्र से बढ़कर खदान संचालक खदानों का संचालन कर रहे हैं, लेकिन पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए एक वृक्ष तक नहीं लगा रहे। जिससे क्षेत्र में लगातार महानदी का कटाव और जल स्तर का घटाव बढ़ता जा रहा है। इस बात की पुष्टि खनिज कार्यालय में ग्राम घोडारी में संचालित सुभद्रा देवी चूना पत्थर खदान को लेकर मिली शिकायत भी करती है। यह शिकायत केवल उदाहरण है बाकीं हालात ये नजार तमाम खदानों का है।
सुभद्रा देवी के खदान को लेकर मिली शिकायत केवल एक उदाहरण है, लेकिन इस क्षेत्र में तमाम खदानों का लगभग हालत ऐसे ही है। जहां पर पर्यावरण की अनदेखी करते हुए वहां से निकलने वाले वेस्ट मटेरियल को महानदी के आसपास जहां-तहां फेंक दिए जाते हैं। क्षेत्रफल से बढ़कर खनन किया जा रहा है, पर्यावरण को संरक्षित करने पेड़ तक नहीं लगाया जा रहा। ऐसा नहीं है कि, इसकी जानकारी शासन प्रशासन को नहीं समय-समय पर इस तरह की शिकायतें लगातार प्रशासन को मिलती है। बावजूद इसके आखिर खनिज विभाग क्यों मौन है यह भी सवाल खड़ा करता है।

लगातार क्षेत्र में फर्शी पत्थर खदान संचालकों के द्वारा किए जा रहे पर्यावरण के दोहन को लेकर ढिंढोरा24 ने मामला सामने लाया है। ढिंढोरा24 की टीम ने प्रशासन और जिले के कलेक्टर के सामने पर्यावरण के दोहन, राजस्व की हानि को लेकर सवाल खड़ा किया। जिस पर जिले के कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने अब इस मामले में कड़ा रूख अपनाते हुए संबंधित विभागों की टीम गठित करते हुए एन्जाइ रिपोर्ट मांगने की बात कर रहे हैं। उन्होने कहा कि, यदि पर्यावरण के नियमों को ताक में रखकर खदान संचालक काम कर रहे हैं तो उन पर बिल्कुल कार्रवाई की जाएगी।
ढिंढोरा में मामला उजागर होने के बाद, अब जिले के कलेक्टर कार्रवाई की बात तो कर रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर स्थानीय निवासियों को जिस गहराई के साथ अंधाधुंध खनन किया जा रहा है, उसे देखते हुए आने वाले भविष्य में भूकंप का खतरा भी सता रहा है। क्योंकि इन खदानों में लगातार अत्यधिक गहराई के खनन के बाद बंद हुए खदानों को भरा तक नहीं जाता। जहां वृक्ष लगाकर पर्यावरण को बचाने पहल किया जाना चाहिए वहां खदानों से निकलने वाले मलबा को फेंका जा रहा है।