मेडिकल कॉलेज महासमुंद में बड़ी लापरवाही, 5 घंटे प्रसव पीड़ा से तड़पती रही महिला की डॉक्टरों ने की अनदेखी, इस दुनियाँ में आँख खोलने से पहले ही बुझ गया एक घर का चिराग
मामला मीडिया में आने पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर हो रही अब मामले की लीपापोती

महासमुंद : महासमुंद जिले को मेडिकल कॉलेज की सौगात मिली है। महासमुंद जिला अस्पताल का मेडिकल कॉलेज में विलय होने के बाद अब जिलेवासियों को स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर और भी ज्यादा उम्मीद बढ़ गई है। राज्य सरकार एक और जहां मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर लगातार महासमुंद मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल से लापरवाही की तस्वीरें सामने आ रही है। यहां पदस्थ डॉक्टरों की मनमानी हो या फिर मेन पावर की कमी, आए दिन लापरवाही का खामियाजा बेबस मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। एक बार फिर ताजा मामला महासमुंद जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज से सामने आया है, जहां पर प्रसव पीड़ा से पीड़ित एक महिला को इमरजेंसी में जिला अस्पताल लाया गया था, लेकिन जिला अस्पताल में 5 घंटे तक महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती रही और किसी भी ड्यूटी डॉक्टर ने उसे अटेंड करने की या उसकी सुध लेने की जहमत तक नहीं उठाई। नतीजा एक परिवार का चिराग इस दुनिया में आंख खोलने से पहले ही बुझ गया। डॉक्टरों और स्टाफ की लापरवाही को लेकर अब जब परिजन होल हंगामा करने लगे तो मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार एक दूसरे पर जिम्मेदारी मढ़ रहे हैं। और मामले में लीपापोती करने में लगे हुए हैं। पीड़ित महिला के परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार महासमुंद शहर की वार्ड क्रमांक 6, नयापारा निवासी काजल मानिकपुरी पति भवानी दास मानिकपुरी उम्र 24 साल को 27 फरवरी की रात प्रसव पीड़ा आया। इस दौरान वह डिलीवरी के लिए अपने परिजनों के साथ अपने मायके ग्राम खट्टी चली गई। चूंकि काजल मानिकपुरी की मां लक्ष्मीन ध्रुव स्वास्थ्य विभाग की मितानिन है, इसलिए उन्हें उम्मीद थी की खट्टी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही उनका नॉर्मल डिलीवरी हो जाएगा। लिहाजा रात करीब 10:30 से 11:00 बजे उसे खट्टी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गय। जहां उपस्थित स्टॉप ने उनका चेकअप किया। रातभर डिलीवरी नहीं होने और बिगड़ते कंडीशन को देख हुए उसे मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल महासमुंद रेफर किया गया। दूसरे दिन 28 फरवरी कि सुबह 10:30 बजे काजल को मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां उससे गायनिक वार्ड में रखा गया। प्रसव पीड़ा से जूझ रही काजल को डिलीवरी के लिए डिलीवरी रूम में ले जाया गया था। जहां उसे ड्यूटी पर तैनात नर्सों ने चेक किया और नॉर्मल डिलीवरी हो जाने की बात करते हुए इंतजार करने की बात कही। इस बीच परिजन डॉक्टरों की पूछ परख करते रहे, लेकिन किसी ने भी कोई सार्थक जवाब परिजनों को नहीं दिया। परिजन घंटों डॉक्टर के आने का इंतजार करते रहे लेकिन कोई भी डॉक्टर पीड़ित महिला को देखने तक नहीं पहुंचा।

आखिरकार 3 घंटे बाद सुबह 8:00 से 2:00 बजे के शिफ्ट में तैनात ड्यूटी डॉक्टर डॉक्टर प्रतिमा कोसेवारा, महिला को देखने पहुंची। इस दौरान उन्होंने भी महिला का सिजेरियन डिलीवरी कराने के बजाए इंतजार करने की बात कर चली गई। क्योंकि पीड़ित महिला काजल की मां लक्ष्मी स्वयं स्वास्थ्य विभाग की मितानिन है और अन्य महिलाओं का प्रसव कराते रहती है इसलिए वह हालात और कंडीशन को समझ चुकी थी वह लगातार डॉक्टरों और स्टरों से सीजर कर बच्चा बाहर निकालने की गुहार लगाते रही, लेकिन किसी ने भी उनकी एक नहीं सुनी। आखिरकार सुबह की शिफ्ट के डॉक्टर और स्टाफ 2:00 बजे तक अपनी शिफ्ट खत्म कर महिला को यूंही उनके हालात में छोड़कर चलते बने। दोपहर करीब 2:30 बजे डॉक्टर हेमंत चंद्रवंशी ने काजल को अटेंड किया तो उन्होंने पाया कि, डिलीवरी कराने में काफी लेट हो चुकी है और बच्चे की धड़कन रुक चुकी है। उन्होंने महिला का कंडीशन ना बिगड़े इसका ध्यान रखते हुए तत्काल सीजर करने की तैयारी करने के लिए निर्देशित किया। दोपहर 3:30 जब सीजर कर बच्चे को बाहर निकाला गया तो बच्चा गर्भ में ही दम तोड़ चुका था। और एक परिवार का चिराग इस दुनिया में आने से पहले ही बुझ चुका था। इस बात की जानकारी जब परिजनों को लगी तब परिजन अस्पताल में होल-हंगामा करने लगे और बच्चे को देने की मांग करते रहे। लेकिन परिजनों के मुताबिक अस्पताल प्रबंधन बच्चे को परिजनों के सुपुर्द नहीं किया गया और महिला महिला को ऑब्जरवेशन में रखने की बात करते रहे। आज सुबह काजल को गायनिक वार्ड में शिफ्ट कर बच्चे को परिजनों के सुपुर्द किया गया। पीड़ित महिला के परिजन इस बात से काफी आक्रोशित हैं और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से लगातार लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर और स्टाफ पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

मासूम की मौत का जिम्मेदार कौन?
मामले को लेकर हमने सुबह की शिफ्ट में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर प्रतिमा कोसेवारा से बात की। उन्होंने अपने जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि, जब महिला को अस्पताल लाया गया था तब उसकी जानकारी मुझे नहीं थी। उन्होंने उपस्थित स्टाफ नर्स पर जिम्मेदारी मढ़ते हुए कहा कि, महिला को अस्पताल लाने के बाद डिलीवरी रूम में रखा गया था। लेकिन उसकी भर्ती स्टाफ नर्स ने नहीं की थी। मैं राउंड पर थी मुझे और भी करीब 70 से 75 पेसेंट को देखने होते हैं। दोपहर 1:30 बजे मैंने उसे चेक किया तो उसका कंडीशन ठीक था। बच्चे का हार्टबीट चल रहा था। इसलिए नॉर्मल डिलीवरी के लिए इंतजार करने को कहा।
हमने जब बिगड़ते कंडीशन को देखते हुए आखिर सीजर क्यों नहीं करने का सवाल पूछा तो डॉक्टर प्रतिमा के द्वारा खुद को पत्रकारों को जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं होने और अपने एचओडी डॉक्टर नेहा ठाकुर से इसकी जानकारी लेने की बात करते हुए फोन काट दिया गया। मामले में हमने डॉ नेहा ठाकुर से भी पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन मोबाइल से संपर्क करने पर उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इधर जब हमने मामले की जानकारी दोपहर के शिफ्ट में तैनात डॉ हेमंत चंद्रवंशी से ली तो उन्होंने बताया कि, जब वह दोपहर 2:00 बजे के शिफ्ट में आया तो उसे महिला की जानकारी हुई। 2:30 बजे वह राउंड से महिला के पास उसे चेक करने गया। उन्होंने पाया कि, महिला का कंडीशन खराब है। बच्चे का हार्ट बीट रूक चुका था। उन्होंने जच्चा-बच्चा का ख्याल करते हुए तत्काल सीजर की तैयारी करने को कहा। और जिसके बाद सिजेरियन से बच्चे को बाहर निकाला गया। यदि बच्चे को निकालने में लेट किया जाता तो शायद महिला का कंडीशन और भी खराब हो सकता था और परस्थिति बिगड़ सकती थी।

प्रसव में लापरवाही की बात पर भाजपा महिला मोर्चा और युवा मोर्चा ने मेडिकल कॉलेज में किया हंगामा, दी चेतावनी
मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल में प्रसव पीड़ा के दौरान लापरवाही और नवजात की मौत की खबर के बाद भाजपा महिला मोर्चा और युवा मोर्चा महासमुंद के पदाधिकारियों ने जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज पहुंचकर व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए जमकर हंगामा किया। महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष सुधा साहू ने इस दौरान कहा कि, अस्पताल में प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला की अनदेखी यहां तैनात डॉक्टरों और स्टाफ की घोर और गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। जिसके चलते एक परिवार को अपने घर का चिराग खोना पड़ा है। किसी अन्य परिवार के साथ ऐसी घटना ना हो इस बात को लेकर सभी ने जमकर हंगामा किया। और अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर बसंत महेश्वरी का घेराव कर दिया। इस दौरान दोषियों पर सभी कार्यवाही की मांग करने लगे। जिस पर अस्पताल अधीक्षक ने संबंधितों को नोटिस जारी कर जवाब मांगने की बात कही है। जिस पर महिला मोर्चा और युवा मोर्चा के पदाधिकारियों ने 1 सप्ताह का समय दिया है यदि मामले में उच्च स्तरीय जांच नहीं की जाती तो उग्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई है।

अस्पताल अधीक्षक ने कहा होगी मामले की जांच, दोषी पाए जाने पर होगी कार्रवाई
मेडिकल कॉलेज में प्रसव के दौरान हुई लापरवाही को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इसे लेकर हमने अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर बसंत महेश्वरी से बात की। जिस पर उन्होंने बताया कि, मामला उनके संज्ञान में आया है। उन्होंने गायनिक डिपार्टमेंट से इसका जवाब मांगा है। साथ ही जनप्रतिनिधि भी मामले की शिकायत लेकर पहुंचे थे, जिस पर उन्हें भी रिटर्न में आवेदन देने की बात को लेकर चर्चा हुई है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज में मेन पावर की कमी होने की बात स्वीकार करते हुए, मामले की जांच कराने की बात कही। और कहा कि, यदि जांच में कोई भी दोषी पाया जाता है तो उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।