महासमुंद की राजनीति का लिव इन रिलेशन…बिना डायवोर्स के ही हो रहा तलाक?
शहर का छोरा पीटे ढिंढोरा…महासमुंद का चुनावी हास्य तड़का, कांग्रेस की टिकट को लेकर परोसा जा रहा अफवाहों का प्लेट,भाजपा में टिकट वितरण के बाद कई दावेदार कर रहे छुपम-छुपाई?…
मनोहर सिंह राजपूत(एडिटर इन चीफ ढिंढोरा24 न्यूज़)
महासमुंद लिव इन रिलेशनशिप इन दोनों महानगरों की नई जनरेशन में जोरों से चलन में है। जहां बिना विवाह किये ही साथ-साथ रहा जाता है। पर राजनीति में भी इसने अपने पैर पसार लिए हैं। हालांकि राजनीति में लिव इन रिलेशनशिप का अर्थ वैसा नहीं है, जैसा महानगरों में नई जनरेशन में चल रहा है। पर भाव कमो बेस वैसे ही है। यहां लोग दल का नहीं बल्कि दिल का रिश्ता निभाने में ज्यादा विश्वास कर रहे हैं साहब….एक बड़ी पुरानी कहावत थी, गुड़ खाएंगे पर गुलगुले से परहेज करेंगे…वैसा ही कुछ अभी महासमुंद की राजनीति में दिख रहा है। जहाँ बिना राजनीतिक विवाह किये ही लोग, लिव इन रिलेशनशिप वाली राजनीति कर रहे हैं। जहां भाजपा हो या कांग्रेस आपसी मनमुटाव होने पर डाइवोर्स या तलाक लेने की जरूरत नहीं पड़ती। लोग खुद ब खुद बिना किसी झंझट के अलग-थलग दिखाई पड़ने लगते हैं।
मैं आपके तरफ हूँ 👈🏻👉🏻👆🏻👇🏻😂
महासमुंद की भाजपा-कांग्रेस की राजनीति को देखकर ढिंढोरा के संपादक को एक फिल्म याद आ गई….जिसमें एक किरदार बड़ी चालाकी से अपने मालिक को जवाब में मैं आपकी तरफ हूं कहकर जवाब देता है। लेकिन इशारा कहीं और होता है। वह फिल्म था दूल्हेराजा जिसमें होटल का मालिक कादर खान का मैनेजर जॉनी लीवर, हमेशा विपक्ष की तरफ रहता है। और कादर खान जब पूछता था कि तू किसके तरफ है, तो वह देखता तो कादर खान की तरफ था, पर उंगली का इशारा विपक्षी तरफ करके कहता था मैं आपकी तरफ हूं….वैसा ही कुछ खेल तमाशा इन दिनों महासमुंद की राजनीति में दिखना शुरू हो गया है। लोग ऑक्टोपस की तरह सब तरफ अपने पैर पसारकर रखना चाहते हैं। और अपने नेताजी के तरफ देखकर विश्वास दिलाते रहते हैं कि, मैं आपकी तरफ हूं…अब वह उंगली का इशारा किधर-किधर करते हैं यह तो आने वाले समय में और भी बहुत अच्छे से देखने को मिलेगा।
महासमुंद के राजनीति में एक और दिलचस्प बातें नजर आ रही है। जहां अफवाह का दौर चलन पर है। महासमुंद में चुनाव हो और अफवाहों का शोर ना हो ऐसा दौर तो कभी महासमुंद से गुजरा ही नहीं। भोर काल से आरंभ अफवाह, नाश्ते की टेबल में जहां अटकलों के दौर में बदल जाती है। वहीं लंच टाइम आते-आते वह एक पक्की खबर बन जाती है। और शाम को चौक चौराहों पर दावे के साथ टेबल ठोककर बोलने वालों की कमी नहीं रहती। अभी प्रेमिका की दूसरे से शादी हुई भी नहीं और लोगों ने प्रेमी को मजनू बना दिया। अभी कांग्रेस से टिकट तय नहीं हुई है और लोग टिकट कटने वालों को बागी प्रत्याशी भी बना दिए हैं।
अब तक के लिए बस इतना ही साहब, ऐसे ही खबरे के साथ समय-समय पर हम आपसे मिलते रहेंगे…और पीटते रहेंगे शहर का ढिंढोरा…