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महासमुंद के कांग्रेस भवन में स्व. विद्याचरण शुक्ला और रविशंकर शुक्ला के जयंती पर कांग्रेसियों ने दी श्रद्धांजलि, उनके कार्यों को किया याद

महासमुंद। अविभाजित मध्य प्रदेश के दो महान नेता जिनकी जन्म जयंती 2 अगस्त को मनाई जाती है और इत्तेफाक की बात है की दोनों पिता पुत्र हैं जिनकी पहचान से महासमुंद की पहचान है दिल्ली तक पंडित विद्याचरण शुक्ला जी के कारण एवं संसदीय क्षेत्र होने के कारण महासमुंद का नाम अनजान नहीं रहा एवं अविभाजित मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में क्या करते हुए पंडित रविशंकर शुक्ला जी ने प्रदेश के विकास के लिए अनेकों कार्य किये।

डॉ रश्मि चंद्राकर जिला अध्यक्ष ने पंडित रविशंकर शुक्ला जी को श्रद्धांजलि देते हुए उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डाली उन्होंने कहा कि पंडित रविशंकर शुक्ल मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। वे एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कुशल प्रशासक और विद्वान राजनेता थे। पंडित रविशंकर शुक्ल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से गहराई से जुड़े रहे।

वे नागपुर अधिवेशन और गांधीजी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भागीदार रहे।

उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और कई बार जेल भी गए।

वे कांग्रेस के प्रमुख नेता थे और गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित थे।आजादी के पहले सेंटरल प्रोविंसेज एंड बरार (मध्य प्रांत और बरार) में मंत्री पद पर कार्य किया।आजादी के बाद 1 नवंबर 1956 को जब मध्य प्रदेश का गठन हुआ, तो वे राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने।

उनकी नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक समझ के कारण मध्य प्रदेश का व्यापक विकास प्रारंभ हुआ।

शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों, स्कूलों और तकनीकी संस्थानों की स्थापना करवाई।कृषि सुधार के रूप में किसानों के हित में नीतियाँ लागू कीं, सिंचाई परियोजनाएँ बढ़ाईं।सड़क एवं संचार: सड़क निर्माण, ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्य मार्गों से जोड़ा।

राज्य का पुनर्गठन मध्यप्रदेश में राज्यों के पुनर्गठन में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई, जिससे मध्य भारत, विन्ध्य प्रदेश, भोपाल आदि को मिलाकर आज का मध्य प्रदेश बना।वे सादगी, ईमानदारी और दूरदर्शिता के प्रतीक थे।

उनके पुत्र पंडित श्यामाचरण शुक्ल भी आगे चलकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

महासमुंद लोकसभा क्षेत्र का पर्याय पंडित विद्याचरण शुक्ला जी रहे है,महासमुंद से शुक्ला जी के शागिर्द एवं कट्टर समर्थक पूर्व प्रभारी महामंत्री संजय शर्मा जी ने पंडित विद्याचरण शुक्ला जी को याद करते हुए उन्होंने बताया कि पंडित विद्याचरण शुक्ल भारत के एक प्रमुख राजनेता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार, लेखक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं। वे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थे। उनका जीवन राजनीतिक समर्पण, सेवा और दूरदर्शिता का प्रतीक रहा है। 1957 में पहली बार सांसद चुने गए।1960 और 1970 के दशक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख युवा नेता बने।1971 से 1977 तक वे केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे।उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का दायित्व निभाया, जिनमें शामिल हैं:सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय,विदेश मंत्रालय,जल संसाधन मंत्रालय पर्यावरण और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

उनकी छवि एक प्रभावशाली वक्ता, कुशल प्रशासक और नीतिनिर्माता के रूप में थी।

आपातकाल के दौरान सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में उन्हें मीडिया सेंसरशिप और प्रेस की स्वतंत्रता पर नियंत्रण के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। फिर भी वे कांग्रेस नेतृत्व के प्रति समर्पित रहे।

25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में नक्सली हमला हुआ।इस हमले में कई कांग्रेस नेता शहीद हुए और पंडित विद्याचरण शुक्ल गंभीर रूप से घायल हो गए।17 दिन तक इलाज के बाद 11 जून 2013 को उनका निधन हुआ।पंडित विद्याचरण शुक्ल छत्तीसगढ़ और भारत की राजनीति में दीर्घकालीन योगदान देने वाले नेता थे।वे साहित्य, संस्कृति और मीडिया नीति निर्माण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका में रहे।उनका निधन एक युगांतकारी घटना मानी गई।उक्त कार्यक्रम में डॉ रश्मि चंद्राकर जिला अध्यक्ष,खिलावन बघेल पूर्व बोर्ड उपाध्यक्ष छत्तीसगढ़ शासन एवं अध्यक्ष शहर कांग्रेस कमेटी महासमुंद,पूर्व प्रभारी महामंत्री संजय शर्मा, ढेलू निषाद ग्रामीण अध्यक्ष,सोमेश दवे संयुक्त महामंत्री,गुरमीत चावला प्रभारी महामंत्री,हुलास गिरी गोस्वामी पूर्व ग्रामीण अध्यक्ष,प्रदीप चंद्राकर प्रदेश महामंत्री,गौरव चंद्राकर महामंत्री,पूर्व एल्डरमैन सुनील चंद्राकर,जावेद चौहान,सरपंच वीरेंद्र चंद्राकर,अजय थवाईत, नितेंद्र बैनर्जी सेवादल  ,तुलसी साहू,मनोहर ठाकुर,लीलू साहू,मोती साहू,लोकू साहू,भानु सोनी उपस्थित रहे

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