अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर महासमुंद में रन फ़ॉर आयुर्वेदा व जिला स्तरीय आयुर्वेद शिविर का आयोजन, 532 मरीजों का हुआ इलाज

मनोहर सिंह राजपूत(एडिटर इन चीफ)
महासमुंद। भारत सरकार के निर्देश पर अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर निर्धारित कार्यक्रमों के तहत आज महासमुंद में रन फ़ॉर आयुर्वेदा व जिला स्तरीय आयुर्वेद शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान स्थानीय विधायक राजू सिन्हा, कलेक्टर विनय कुमार सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अधिकारी-कर्मचारी और लोग मौजूद रहे। पहली पाली में सुबह रन फ़ॉर आयुर्वेदा का आयोजन किया गया। जिसमें सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मैराथन को कलेक्टर विनय कुमार ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो आयुर्वेद कार्यालय से शुरू होकर कलेक्ट्रेट कार्यालय में जाकर सम्पन्न हुई। दूसरी पाली में जिला स्तरीय आयुर्वेद शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का शुभारंभ स्थानीय विधायक राजू सिन्हा ने भगवान धनवंतरी की पूजा कर डीप प्रज्वल्लित कर किया। शिविर में 532 मरीजों का उपचार किया गया और उन्हें निःशुल्क आयुष औषधियां वितरित की गई। शिविर में आयुष चिकित्सा पद्धति से रोग निदान और उपचार किया गया। जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ ज्योति गजभिये ने बताया कि, मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से आसपास के गाँवों और PVTG क्षेत्रों में आयुष पद्धतियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। योग चिकित्सक द्वारा प्रशिक्षित अभ्यर्थियों ने योग प्रदर्शन किया और लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाता है। उन्होंने कहाँ कि, आयुष पखवाड़े के दौरान आगामी 10 से 17 अक्टूबर तक विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तावित हैं, जिनमें आयुष पद्धतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस शिविर का उद्देश्य लोगों को आयुष पद्धतियों के बारे में जागरूक करना और उन्हें निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इस शिविर के माध्यम से लोगों को आयुष के लाभों के बारे में जानकारी मिली और वे स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित हुए।

शिविर में दी गई मिलेट्स के सेहतमंद होने की जानकारी
जिला स्तरीय आयुर्वेद शिविर में मिलेट्स की प्रदर्शनी भी लगाई गई। होम्योपैथी चिकित्सक डॉ माधवी कुशवाहा ने मिलेट्स के बारे में बारीकियों से बताया। उन्होंने जानकारी दी कि, मिलेट्स को ज्वार-बाजरा जैसे मोटे अनाज कहा जाता है। ये हमारे आहार में शामिल होने वाले पारंपरिक अनाज हैं। मुख्य रूप से ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी और सांवा शामिल हैं। ये अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी हैं। मिलेट्स में पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम में कैलोरी 350kcal, प्रोटीन 9.8g, कार्बोहाइड्रेट 68.8g कुल शुगर 1.6 g, वसा(फैट) 1.9g, आहार फाइबर 3.8g होते है। उन्होंने मिलेट्स के मुख्य फायदे बताते हुए कहा कि, यह फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, पाचन सुधारता है और वजन घटाने में मदद करता है। आयरन और फाइबर से भरपूर, इम्यूनिटी बढ़ाता है और ऊर्जा बनाए रखता है। कैल्शियम और आयरन की मौजूदगी हड्डियों को मजबूत करती है, डायबिटीज नियंत्रित रखता है और वजन घटाता है। मिलेट्स में बाजरा(Pearl Millet), रागी(Finger Millet), ज्वार(Sorghum), कोदो(Kodo Millet), कुटकी(Buckwheat) शामिल है।

आयुर्वेद शिविर में द्रव्यों और औषधि की प्रदर्शनी
आयुर्वेद दिवस पर आयोजित जिला स्तरीय आयुर्वेद शिविर में द्रव्यों और औषधि की प्रदर्शनी भी लगाई गई। डॉ रागिनी गुप्ता ने लोगों को आयुर्वेद के लाभों और विभिन्न जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने घरेलू और सामान्य रूप से मिलने वाले पौधे, द्रव्य और जड़ी-बूटियों को जो हमारे आसपास होते हुए भी हम उनसे अनजान होते है, उन्हें प्रदर्शनी के माध्यम से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार के द्रव्य और औषधि जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं जो स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए उपयोगी होती हैं। कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ इस प्रकार हैं:
मेध्य रसायन जड़ी-बूटियाँ
मंडूकपर्णी: स्मृति और बुद्धि बढ़ाने वाली, मानसिक तनाव और चिंता में राहत देती है।
यष्टिमधु (मुलेठी): मन को शांति देती है, याददाश्त बढ़ाती है और मानसिक पित्त प्रकोप को कम करती है।
गुडूची (गिलोय): शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी, टीबी, एसिडिटी और बवासीर में फायदेमंद है।
शंखपुष्पी: बुद्धि वर्धक और स्मृति बढ़ाने वाली, मानसिक विकारों में उपयोगी है।
जटामांसी: हिस्टीरिया, मिर्गी और पेशी-स्फुरण के उपचार में उपयोगी है
अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ
अकरकरा: गले की खराश और सर्दी-जुकाम में उपयोगी, मालिश के लिए भी उपयुक्त है।
आंवला: विटामिन सी से भरपूर, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
हरड़ (हरीतकी): पाचन क्रिया को सुधारता है, दस्त और अपच में फायदेमंद है।
बहेड़ा (बिभीतक): पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है, आंखों के लिए भी उपयोगी है।
पिप्पली: पाचन क्रिया को सुधारता है, सर्दी और खांसी में फायदेमंद है।
सोंठ (शुण्ठी): पाचन क्रिया को सुधारता है, अपच और गैस में फायदेमंद है।
विडंग: कीड़ों को मारने में उपयोगी, पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाता है।
वचा: मानसिक विकारों में उपयोगी, स्मृति और बुद्धि बढ़ाने वाली।
अश्वगंधा: तनाव और चिंता में राहत देती है, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है
आयुर्वेदिक औषधियाँ
संजीवनी वटी: बुखार, अपच और दस्त में फायदेमंद है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।
त्रयोदशांग गुग्गल: आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोगी, इसके गुणों और लाभों के बारे में अधिक जानकारी आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलती है।

शिविर में इन चिकित्सकों का रहा विशेष योगदान
जिला स्तरीय इस आयुर्वेद शिविर में मुख्य रूप से जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ.ज्योति गजभिये, डॉ.नेहा विक्टर विशेषज्ञ चिकित्सक, डॉ.यशवंत चन्द्राकर आयु.चिकि.अधिकारी, डॉ.माधवी कुशवाहा होम्यो. चिकि.अधिकारी, डॉ.पुष्पा साहू यूनानी चिकि.अधिकारी, डॉ.रूचि तिवारी आयु.चिकि.अधिकारी, डॉ.सरोज कुमार घृतलहरे आयु.चिकि.अधिकारी, डॉ.खगेश साहू आयु.चिकि.अधिकारी, डॉ.सृष्टि चंद्राकर आयु.चिकि.अधिकारी, डॉ.देवेंद्र सिंग कुंजाम आयु.चिकि.अधिकारी, डॉ.उत्कर्ष वर्मा पी.जी.आयु.चिकित्सा, डॉ रागिनी गुप्ता चिकित्सक ग्रेजु., डॉ.खैरुन्निशा यू. चिकित्सा अधिकारी, डॉ.बबिता भगत योग चिकित्सक, फार्मासिस्ट आयुर्वेद नरेश कुमार गायकवाड़, भगत राम घृतलहरे, सेवक राम दीवान, अरुण दीवान, हीराराम दीवान, अशोक श्रीवास, पंचकर्म सहायक राजेन्द्र कोसले, राजेश्वर वर्मा, माधवी सेन, कर्मचारी ललिता ठाकुर, भूपेन्द्र मनहर, राजू डिमर, तेजराम सिन्हा, संतोष श्रीवास्तव का विशेष योगदान रहा