
महासमुंद। जिले के ग्रामीण अंचलों में बिना डिग्री वाले “झोलाछाप” चिकित्सक ग्रामीणों का उपचार उनके स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रहें। इधर, स्वास्थ्य विभाग ऐसे “झोलाछाप” चिकित्सकों पर कार्रवाई को लेकर उदासीन जिसके चलते ग्रामीण अंचलों में “झोलाछाप” चिकित्सकों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जिले में ऐसे चिकित्सक की संख्या एक हजार से भी अधिक है जो ग्रामीणों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहें है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई कार्रवाई न किए जाने के चलते “झोलाछाप” चिकित्सको के हौसले बुलंद हैं। जानकारी के अनुसार “झोलाछाप” चिकित्सकों के पास लोगों के स्वास्थ्य जांच करने के लिए न किसी प्रकार की डिग्री है और न ही कोई वैध लाइंसेंस बावजूद इसके वे किस हिसाब से लोगों का इलाज कर रहें है यह बड़ा सवाल है।
घर पहुंच सेवा देते है “झोलाछाप” चिकित्सक !
ग्रामीण अंचल में बिना लाइसेंस और डिग्रीधारी वाले “झोलाछाप” चिकित्सकों की दुकानदारी ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर फल फूल रही है। ग्रामीणों के मुताबिक कई झोलाछाप चिकित्सको ने अपनी दुकानदारी चलाने के लिए बकायदा गांव में क्लीनिक खोल रख़ा तो कुछ अपनी दुकानदारी को चलाने के लिए गांव-गांव में ग्रामीणों के घर पहुंच इलाज कर अपनी दुकान चला रहें। बताया जाता है कि एक “झोलाछाप” चिकित्सक प्रतिदिन गांव में घूमकर 2-3 हजार रुपए कमाता है। ऐसे चिकित्सक ग्रामीणों को न सिर्फ दवा देते है बल्कि उनको इंजेक्शन भी लगा रहें हैं और ग्रामीणों के स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को ठेंगा दिखा रहें हैं।
उपचार से मौत हुई थी तो जिम्मेदार कौन
“झोलाछाप” चिकित्सकों के उपचार से किसी ग्रामीण की अगर मौत होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ? क्या प्रशासनिक अफसर ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए किसी ग्रामीण की मौत की प्रतीक्षा कर रहें है। जबकि सरकार ने सख्त निर्देश दिए है कि बिना डिग्री और लाइसेंस के ग्रामीण क्षेत्रों में उपचार करने वाले ऐसे “झोलाछाप” चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए पर स्वास्थ्य विभाग के अफसर कार्रवाई करने की बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
मामले में स्वास्थ्य विभाग के जिला नोडल अधिकारी डॉ छत्रपाल चंद्राकर ने बताया कि, जिले के सभी ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर को ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर अभियान चला कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। समय-समय पर शिकायत मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्रवाई भी की गई है। यदि कोई झोलाछाप डॉक्टर बिना डिग्री के प्रैक्टिस करते पाया जाता है तो, उस पर बीएमओ को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।



