बीएससी अंतिम वर्ष के नतीजे घोषित, शासकीय पीजी कॉलेज में एक ही सब्जेक्ट में 30 से 40 बच्चे आये पूरक, निराशाजनक परिणाम से बच्चे डिप्रेशन में
एक ही सब्जेक्ट में ज्यादातर बच्चों के पूरक आने से उठे सवाल, अब पड़ेगा रिचेकिंग में अतिरिक्त शुल्क का भार
महासमुंद – पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ने बीएससी अंतिम वर्ष के नतीजे घोषित कर दिए हैं। विश्वविद्यालय से संबंध महासमुंद जिले के महाविद्यालयों में भी परिणाम आ चुका है। नतीजा घोषित होने के बाद महासमुंद जिला मुख्यालय के शासकीय पीजी कॉलेज के अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं में काफी निराशा देखने को मिल रही है। प्रारंभिक तौर पर पता चला है कि, महाविद्यालय में पढ़ने वाले बीएससी अंतिम वर्ष के करीब 30 से 40 छात्र-छात्राएं एक ही सब्जेक्ट अंग्रेजी में पूरक आए हुए हैं। जिससे बच्चे काफी निराश और हताश महसूस कर रहे हैं, तो वहीं कई बच्चे डिप्रेशन में चले गए है। क्योंकि इन बच्चों में अधिकांश को अन्य सब्जेक्ट में काफी अच्छा नंबर प्राप्त हुआ है। कई बच्चे पूर्व में टॉपर भी रहे हैं। और कई बच्चों का मूल सब्जेक्ट अंग्रेजी विषय ही है। ऐसे में नतीजे आने के बाद करीब 20 से 25 की संख्या में आज बच्चों ने महाविद्यालय पहुंचकर इस बात से प्रबंधन को अवगत भी कराया है। बीएससी अंतिम वर्ष में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं प्रियंका खंडेल, किरण साहू, नवीन निषाद, अभय राजपूत ने बताया है कि, नतीजे काफी निराशाजनक है। ज्यादातर बच्चे इंग्लिश सब्जेक्ट में पूरक आए हैं। अधिकांश बच्चे 2,4, और 6 नंबर के लिए पूरक आ गए है। पूरक आने वाले में टॉपर बच्चे, इंग्लिश मीडियम वाले बच्चे भी शामिल है। निराशाजनक परिणाम से कई बच्चे डिप्रेशन में है। आपको बता दें कि, शासकीय पीजी कॉलेज में बीएससी अंतिम वर्ष रेगुलर में 411 छात्र छात्राएं पढ़ाई कर रहे थे। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि परीक्षा परिणाम का यह हाल केवल शासकीय पीजी कॉलेज का बस हैं, या जिले के अन्य महाविद्यालय के परीक्षा परिणाम भी इसी तरह से है।
इस विषय में शासकीय पीजी कॉलेज की प्राचार्य डॉ अनुसुइया अग्रवाल ने हमसे चर्चा के दौरान बताया कि, महाविद्यालय में इंग्लिश सब्जेक्ट में पर्याप्त प्रोफेसर हैं। पेपर चेक कौन किया?, कैसे हुआ? यह विश्वविद्यालय का गोपनीय विषय है। छात्र-छात्राओं को अधिकार है कि, वह अपने पेपर की रि-चेकिंग करा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि, वह अपने इंग्लिश सब्जेक्ट के एचओडी व प्रोफेसरों की बैठक लेकर इस विषय पर बात करेंगे।
बहरहाल देखना यह होगा कि, सालभर कड़ी मेहनत करने वाले छात्र-छात्राएं आखिर एक ही सब्जेक्ट में पूरक कैसे हुए? जिले के अन्य महाविद्यालयों में इंग्लिश सब्जेक्ट का परीक्षा परिणाम किस तरह से रहा? और क्या कालेज प्रबंधन के द्वारा छात्र हित को देखते हुए इस विषय पर कोई कदम उठाया जाएगा? क्या विश्वविद्यालय इस विषय पर संज्ञान लेगा? आखिर बच्चों के तनाव और डिप्रेशन में जाने के लिए जिम्मेदार कौन है? यह तमाम सवाल अभी सवालिया निशान बना हुआ है। हालांकि परीक्षा परिणाम आने के बाद 15 दिनों के भीतर छात्र-छात्राएं अपने पेपर की रि-चेकिंग करा सकते हैं। इसके लिए उन्हें एक बार फिर ₹500 का आवेदन शुल्क अतिरिक्त भार के रूप में लगेगा।