महासमुंद में दावेदारों को सता रही टिकट की टेंशन, दावेदारों का हुआ खान-पान नींद-आराम सब बंद, किस पार्टी से आखिर किसे मिलेगी टिकट?
शहर का छोरा, पीटे ढिंढोरा…चुनावी रेस में बादशाह से लेकर दुग्गी-तिग्गी भी टिकट दावेदारी में किसी से कम नहीं…
मनोहर सिंह राजपूत(महासमुंद)।
“अब हवाएं ही करेंगी रौशनी का फैसला, जिस दिए में जान होगी वह दिया रह जाएगा”
यह शेर महासमुंद विधानसभा क्षेत्र की आज की वर्तमान में राजनीतिक परिदृश्य पर एकदम सटीक बैठ रहा है। कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही दलों में टिकट की मच-मच मची हुई है। कोई किसी से काम नहीं है। टिकट की चल रही इस फुगड़ी प्रतियोगिता में हर कोई लगभग कुद ही पड़ा है। स्थानी चैनलों व सोशल मीडिया में तो दोनों ही दलों से संभावितों की नई-नई सूची रोज निकल रही है। जिस वजह से पार्टीयों के छोटे कार्यकर्ता और आमजन के दिमाग का रोज दही-कांदा हो रहा है। वही नेता भी रोज-रोज के नए-नए मिल रहे टेंशन से हाई कमान तक की दौड़ लगाकर उन्हें भी हलकान कर रहे हैं। जुबानी जंग तो खुलकर चल रही है, और अब तो जिसमें जान बेचेगा वही जिंदा रहेगा, और जिसका मांझा तेज होगा उसी की पतंग भी राजनीति के आसमान पर टिकी दिखेगी।
टिकट घोषणा की उल्टी गिनती जहां चालू हो गई है, वहीं नेताओं की सीधी दौड़ दोनों राजधानी रायपुर और दिल्ली तक चल रही है। महासमुंद में भाजपा की ओर से संभावित प्रत्याशी का सिंगल नाम सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद, 5 सालों तक भाजपा को पूरी तरह से रंग रोगन करके चकाचक बनाकर रखने वाले नेता और नेत्री भी, अपनी हुंकार और दावे को बनाए हुए हैं। कांग्रेस से भी दावेदारी वर्तमान विधायक के साथ-साथ 3 और मजबूत आधारों के दावों से टिकट का खेल कैरम बोर्ड की गोटी क्वीन कर की तरह हो गया है। हर कार्यकर्ता हर नेता 99.9% का दावा कर रहा है। अब देखना यह है की दलीय नेताओं के टिकट रूपी सांप सीढ़ी के इस खेल में, कौन 99 का सांप पार करके चुनावी जंग की पहली जीत को अपने खाते में डालने में सफल होगा। यह बात तो तय है कि, दावेदारों की खान-पान और नींदे सब उड़ी हुई है। और शायद यह शेर वें अपने लोगों से कहते भी होंगे…
“हमें भी नींद आ जाएगी, हम भी सो ही जाएंगे।
अभी कुछ बेकरारी है सितारों, तुम तो सो जाओ…”
तब तक के लिए नमस्कार!
शहर का यह छोरा और भी पिटता रहेगा ढिंढोरा…